बुधवार, 20 अक्तूबर 2010

क्या मनुष्य को धर्म की आवश्यकता है?

वास्तविक धर्म को ईश्वर और शैतान, स्वर्ग और नरक से कुछ लेना-देना नहीं है। धर्म के लिए अंग्रेज़ी में जो शब्द है "रिलीजन' वह महत्वपूर्ण है। उसे समझो, उसका मतलब है खंडों को, हिस्सों को संयुक्त करना; ताकि खंड-खंड न रह जाएं वरन पूर्ण हो जाएं। "रिलीजन' का मूल अर्थ है एक ऐसा संयोजन बिठाना कि अंश अंश न रहे बल्कि पूर्ण हो जाए। जुड़ कर प्रत्येक अंश स्वयं में संपूर्ण हो जाता है। पृथक रहते हुए प्रत्येक भाग निष्प्राण है। संयुक्त होते ही, अभिन्न होते ही एक नई गुणवत्ता प्रकट होती है-पूर्णता की गुणवत्ता। और जीवन में उस गुणवत्ता को जन्माना ही धर्म का लक्ष्य है। ईश्वर या शैतान से धर्म का कोई संबंध नहीं है।


आगे पढ़े ...... यहाँ क्लिक करे

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें