मंगलवार, 26 अक्तूबर 2010

ज्योतिष अर्थात अध्यात्म भाग - 3


इतने संवेदनशील हैं और सूरज पर होती हुई कोई भी घटना को इतनी व्यवस्था से अंकित करते हैं, तो क्या आदमी के चित्त में भी कोई पर्त होगी, क्या आदमी के शरीर में भी कोई संवेदना का सूक्ष्म रूप होगा, क्या आदमी भी कोई रिंग और वर्तुल निर्मित करता होगा अपने व्यक्तित्व में?
अब तक साफ नहीं हो सका। अभी तक वैज्ञानिकों को साफ नहीं है कोई बात कि आदमी के भीतर क्या होता है। लेकिन यह असंभव मालूम पड़ता है कि जब वृक्ष भी सूर्य पर घटती घटनाओं को संवेदित करते हों तो आदमी किसी भांति संवेदित करता

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